Sunday, January 30, 2011

धर्मनिरपेक्षता और दंगा

भारतीय संविधान के अनुसार 'धर्मनिरपेक्षता' का मतलब 'सर्व धर्म समभाव' से है. भारत की सत्ता ऐसा 'समभाव' दिखाने में असमर्थ रही है. पुलिस प्रशासन से लेकर न्यायपालिका तक संदिग्ध भूमिका में हैं. विभूति नारायण राय , जो अन्य कारणों से फ़िलहाल काफी विवाद में रहे हैं, ने साप्रदायिक दंगे में पुलिस की भूमिका पर बड़ा ही महत्वपूर्ण काम किया है। उनका मानना है कि यहाँ की पुलिस हिंदू-पुलिस और मुस्लिम-पुलिस है। हिंदू -पुलिस चूँकि बहुसंख्या में है ,इसलिए 'स्वभावतः' मुस्लिम विरोधी है। सरकारी आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं. शायद इसीलिए मुस्लिम संगठनों की मांग है कि पुलिस में मुसलमानों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि एक तरह का संतुलन कायम किया जा सके.


विभूति जी ने तो यहाँ तक लिखा है कि दंगा शुरू तो हो सकता है लेकिन अगर वह चौबीस घंटे से ज्यादा टिकता है तो जानिए कि वह राज्य-समर्थित है. इसलिए कम-से-कम भारत का उदाहरण देखते हुए कहा ही जा सकता है कि राज्य का 'धर्मनिरपेक्ष' होना ही काफी नहीं है, बल्कि उसे 'असाम्प्रदायिक' होना भी है.

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