Sunday, October 31, 2010

समाजवाद का सपना

यह केवल भविष्य की बात होती तो इसे सपना कहकर टाला भी जा सकता भी था लेकिन इतिहास ने जैसाकि बताया है , अतीत में भी अपराध ,हिंसा ,आर्थिक असमानता आदि से मुक्त समाज का अस्तित्व रहा है . ये सारे छल -छद्म निजी संपत्ति के अविर्भाव के बाद ही समाज में... अपनी जड़ें जमा सके .
अभय जी हम मार्क्स का नाम न भी लें तो काम चलेगा. देशी विद्वान श्री काशिनाथ रजवाड़े की जो किताब है, वही आपकी बात के जवाब में काफी है . उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि एक समाज (भारत के सन्दर्भ में है वह ) ऐसा भी रहा था एक पति की कल्पना नहीं थी.

निजी ...संपत्ति मैंने इसलिए कहा कि उसी से निजी परिवार भी निकला है .

बिहार में सुशासन की हवा-मिठाई





यह अजीब-सी बात है कि बिहार में आये बदलाव को प्रदेश के बाहर के लोगों ने कुछ पहले जाना-समझा। इस बदलाव की धमक अमेरिका पहले पहुची, बाद को वहीं से रिडायरेक्ट होकर दुनिया के भिन्न-भिन्न कोनों में फैली। निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि बदलाव हुए हैं। बिहारवासी 'जंगल-राज' से चलकर सुशासन 'में दाखिल हो रहे हैं। ये दोनों ही 'फर्जी' नाम पत्रकारों-बुद्धिजीवियों की एक खास 'प्रजाति' के द्वारा गढ़े गये हैं। आश्चर्य होता है कि सुशासन की डुगडुगी बजाने में वही बुद्धिजीवी-पत्रकार शामिल हैं, जो 'जंगल-राज' के दिनों में 'लालू-राबड़ी ' की जीवनी तैयार करने हेतु लेखक ढूंढ रहे थे।

जंगल-राज और सुशासन में एक तात्विक अंतर है, जिसे मैं एक तटस्थ बिहारवासी होने के नाते महसूस कर सकता हूं। जंगल-राज के दिनों में सरकार उदारीकरण एवं बाजारवाद जैसी चीजों पर सखतीपूर्ण रवैया अपनाती थी। धनिकों का विरोध एवं गरीबों की भलाई स्थायी घोषणा थी उसकी। ये और बात है कि शब्द और कर्म में कभी मेल नहीं बिठाया जा सका। सुशासनी सरकार ने शब्द और कर्म की एकता दर्शायी है। यह सरकार वैश्विक पूंजी की गोद में बैठकर न केवल बातें करती है बल्कि उसके अनुपालन के लिए हर संभव प्रयास भी करती है। सूत्र रूप में कहें कि वर्तमान सरकार पूंजीपति वर्ग द्वारा तैयार उपभोक्ता माल की बिक्री की गारंटी देती है।

यह सब करने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार की जरूरत पड ती है। अखबार इस जरूरत को आसानी से पूरा कर सकता है। इसलिए 'सरकारी' पत्रकारों की एक फौज जमा की गई। ऐसे पत्रकार अब सामयिक ज्वलंत मुद्‌दों पर न लिखकर 'कानों-कान' सुनते हैं और 'भूले-बिसरे' मुद्‌दों पर लिखते हैं। सामयिक घटनाओं पर लिखने के अपने 'खतरे' हैं। सामयिक चिंतन का 'मूड' तभी बनता है जब सरकार के नेता से असंतुष्ट विधायकों/लोगों को 'अपने पुराने घर' में वापिस लाने का इन्हें 'सरकारी फरमान' प्राप्त होता है। अखबार के मालिकों के लिए अलग से पैकेज की व्यवस्था की गई है। उनको सरकार की तरफ से मिलनेवाले विज्ञापनों में तीन-चार गुने की अप्रत्याशित वृद्वि की जा चुकी है। नतीजतन, अखबार के मालिक से लेकर नौकर-चाकर तक-सभी जनता को सुशासन की 'हवा मिठाई' बांट रहे हैं। बालिका सायकिल योजना के पक्ष में भी अखबारों/पत्रकारों ने सकारात्मक माहौल बनाने का जी-तोड़ प्रयास किया था। हमें बार-बार बताया गया कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह एक क्रांतिकारी प्रयास है। इसमें कई लोगों को कई तरह से कमाई का अवसर मिला। सरकार से लेकर विद्यालय के प्रधानाध्यापक तक को। सायकिल निर्माता कंपनियों को जब सिर्फ लडकियों को ही सायकिल बेचकर संतोष न हुआ तो सरकार को अपनी योजना में संशोधन लाना पड़ा जाहिर है, अब बालकों को भी सायकिल दी जा रही है। महिला सशक्तिकरण की बात कहां रही तब।

सायकिल का ही गोतिया मोटरसायकिल है। मोटरसायकिल बेचने का जरिया बेचारी पुलिस को बनना पडा। ध्यान रहे कि यह कोई आम या किफायती मोटरसायकिल नहीं है, बल्कि अपाचे टीवीएस १६० है। निश्चित रूप से इसकी खपत खुले बाजार में संभव नहीं क्योंकि इसकी कीमत अन्य आम मोटरसायकिल की तुलना में डेढ गुनी अधिक है। वर्तमान में इसकी कीमत ६१,००० रुपये है। यह सब जनता की 'सुरक्षा' और 'सुव्यवस्था' बहाल करने हेतु किया गया। हां, इससे इतना तो अवश्य हुआ कि पटना की सडकों पर पुलिस अब नजर आने लगी है! लोकतंत्र में पुलिस की 'सक्रियता' बढ जाए तो सुव्यवस्था का अंदाजा आप लगा ही सकते हैं। विधायकों को बड़ी गाडी दी गई। जनता के लिए रात-दिन एक वही तो करते हैं

शिक्षा का क्षेत्र अभी सबसे बड़ा बाजार है। इस क्षेत्र में विदेशी बड़ी कंपनियों को अवसर प्रदान करने के लिए केन्द्र सरकार भी कई गलत-सही तरीके से प्रयत्नशील है। इसलिए हमारी राज्य सरकार के पास एक 'नैतिक आधार' (वैसे अब इसकी फिक्र ही किसे है ) भी है। लगभग प्रत्येक उच्च माध्यमिक विद्यालय को पचास लाख रुपये की राशि प्रदान की गई है। इसमें कसरत-व्यायाम (जिम) के सामान से लेकर पुस्तकालय के लिए किताबों की खरीद तक शामिल है। जिम के सामान पर प्रत्येक विद्यालय को लगभग चार लाख की राशि खर्च करनी है। 'कुपोषण ' के शिकार नव नियोजित शिक्षक (उनका नियत वेतन मात्र छः हजार रुपये है। अगर सरकार की वर्तमान घोषणा को आधार बनाया जाये तो यह आठ हजार ठहरता है।) एवं अनीमिया से ग्रस्त बच्चे-बच्चियां जिमखाने से लाभ उठा सकेंगे-इसकी कल्पना मात्र क्या हास्यास्पद नहीं है ? सरकार ने यह आदेश भी पारित किया है कि प्लस टू के बच्चों को पढ़ाने के लिए पास-पड़ोस के एम. ए. पास युवकों को धरा-पकड़ा जाये और डेढ सौ रुपये की दैनिक मजदूरी देकर उन्हें उपकृत किया जाये। बिहार में लगता है, मानव संसाधन के उपयोग एवं विकास का यह 'सुशासनी नुस्खा' अपने आप मे एकदम ही 'मौलिक' विचार है। जहां तक पुस्तकालय के लिए किताबों की खरीद की बात है, वहां भी व्यापक गड़बड़ी देखी गई। एक तो सरकारी निर्देश के आलोक में टेक्स्ट बुक्स ही खरीदी गईं, और ठीक दूसरे वर्ष कक्षा नौ का पाठ्‌यक्रम बदल दिया गया। एकबारगी पुस्तकालय कूड़ाघर में तब्दील हो गया। ऐसी खरीद का आप क्या मतलब निकाल सकते हैं। दूसरी तरफ प्राथमिक विद्यालयों में सात पेजी चित्र-पुस्तकें ४०-५० रुपये में खरीदी गईं। यह सब सुशासनी सरकार के सखत निर्देशन में हुआ। यहां तक कि खरीद के लिए दुकान भी तय थी।इतना ही नहीं, प्रत्येक विद्यालय को कंप्यूटर देने की हमारी सरकार की अत्यंत 'महत्वाकांक्षी' योजना है। इस योजना को जमीन पर उतारने की दिशा में कुछ आवश्यक पहल भी हुई है। आप समझ सकते हैं कि जहां विद्यालयों में तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां कंप्यूटर देने के पीछे ''सुशासन की क्या हो सकती है। गौरतलब यह भी है कि प्रत्येक बच्चे को लैपटॉप से युक्त बनाने की अद्यतन योजना पर विमर्श जारी है। क्या मजाक है कि शिक्षक वर्ग में बगैर जूते (उनकी तनखवाह एक जोड़ी जूते के बराबर है) उपस्थित हों और बच्चे लैपटॉप पर चैटिंग करते। यह सब सुशासन ही में संभव है।

इसलिए, सुशासन के पैरोकार बुद्धिजीवियों से मेरी गुजारिश है कि वे मेरी इन बातों की तथ्यात्मक भूलों/गलतियों को बताएं, केवल सुशासन की हवा-मिठाई ही न बेचें।



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    • Swayambara Buxi bilkul sahi kaha hai......
      23 October at 16:27 · · 1 personLoading...
    • Shiksha Saxena
      sushashan aur sushiksha ka sateek vishlehan kiya hai.'nav niyojit shikshak' se yad aaya shikshamitra. main 2004-05 meRobrtsganj aur Dudhi (Sonbhadra distt) me shiksha ar workshop conduct karne gayi thi, to pata hala vahan ek shikshamiytra h...ota/hoti nhai jiska star aur vetan niyojit ki nhi tarah tha. us workshop ke liye jab maine research kiya to pata chala rian/dps/modern aadi hig-fi schoolon ko chhod bhi den to kendriya vidyaslay se lekar samuday vidyalayon me kai star hain. sabko shikshit hona chahiye lekin iski jimmedari, sarkar ki nahi, samuday ki hai. jis kam ke liye kendriya vidyalkay me ek shikshak ko 30,000+ milega usi kam ke liye shikshamitra ko 3, 000. is par ek bada shodhparak lekh likhiye, hindi-angreji dono men. aap ki bhasha men vyangya ki dhar aur aur paini keejiye.See more
      23 October at 16:50 · · 3 peopleLoading...
    • Raju Ranjan Prasad मजेदार बात तो यह है शिक्षा कि इन केन्द्रीय विद्यालयों में दो शिफ्टों में पढ़ाई की जाती है . दूसरी शिफ्ट के बच्चे भी बाहरी होते हैं और शिक्षक भी . इन बच्चो से मोटी रकम फ़ीस के नाम पर वसूली जाती है जबकि शिक्षकों को बहुत ही कम दिया जाता है .और इस तरह विद्यालय के लिए संसाधन निर्मित किया जाता है .
      23 October at 17:47 · · 2 peopleLoading...
    • Ashutosh Kumar bahut kjhoob. itanee susangat rapat ab tak naheen aayee. tahalkaa bhee sushaashasanee propegaindaa fans gayaa , yaa dheer dheere apanee kalayee utaar rahaa hai.
      23 October at 20:17 · · 1 personRaju Ranjan Prasad likes this.
    • Dharmendra Bhati good
      23 October at 20:37 ·
    • Braj Kishor P. Singh सुशासन पर दूसरा पक्ष देख कर झटका लगा ,
      मैं झटके के लिए तैआर हूँ , पढना जारी रखूँगा .

      क्या आप राष्ट्रवादी इतिहास लेखन पर भी अपने विचार लिखेंगे,थोरा समय निकालें , इंतज़ार करूँगा
      23 October at 20:52 · · 1 personHitendra Patel likes this.
    • Dharmendra Negi Bihar k sushasan k bare padh kar lagta hai wahan sushasan k nam par yojanayen chala kar bholi janta ko lööta or dhokha diya gaya. :-/
      23 October at 21:20 via Facebook Mobile · · 1 personLoading...
    • Raj Kumar Ranjan BIHAR ME JITNA CURPSON THA AGAR AJ DEKHA JAYE TO BAHUT SUDHAR HAI. YE SAB NITISH KA DEN HAI.
      23 October at 22:32 ·
    • Braj Kishor P. Singh राजकुमार जी
      सच समझना मुश्किल लग रहा है
      23 October at 22:47 ·
    • Raju Ranjan Prasad ‎@ Raj Kumar Ranjan मेरी बातों का आप तथ्यों के सहारे खंडन प्रस्तुत करें तो बेहतर .
      23 October at 22:52 ·
    • Hitendra Patel राजू रंजन प्रसाद जी बहुत ही अच्छा लिख रहे हैं. यह पोस्ट तो वाकई शानदार है. युवा इतिहासकार की इस तटस्थता का मैं प्रशंसक हूँ.
      23 October at 22:53 · · 1 personLoading...
    • Raj Kumar Ranjan
      Raju Ranjan jee kewal ek kshetra me vikash ko dekhne se pata nahi chalta. 1. Main jab Rabari ke samay me patna raha karta tha to us samay Gundo ka prabhav bahut adhik tha or aaj nahi ke barabar hai. (ek bar ki ghatna hai hum chhato ka jhagd...a hua tha us chhote se mamle me net mantri or subhas yadav jaise logo ka dakhal ho gaya tha) 2. Mera Gaon jo Nabinagar Prakhand me Padta hai waha par bijalie muskil se 2-3 bhante raha karti thi pratu aj 18-20 ghante rah rahi hai. 3. Mere Gaon tak jane ke liye Paki sadak v ban gaye hai jo ki 15 salo tak RJD or uske vidhayak Bhim Shingh ka chhetra hone ke bawajud kachi sadak se gujara kar raha tha. OR KITNA LIKHU.See more
      23 October at 23:15 · · 1 personLoading...
    • Raj Kumar Ranjan BRAJESH JEE jo sach hai use samjhna kya AJ BIHAR ME BAHUT KUCH VIKASH HUA HAI JO KI EK SACH HAI.
      23 October at 23:19 · · 2 peopleLoading...
    • Braj Kishor P. Singh राजकुमार जी
      आप ने अपना पक्ष ठीक से रखा.
      बहस जारी रहे तो समझ बनती है.
      23 October at 23:20 · · 1 personLoading...
    • Raj Kumar Ranjan KUCH OR KARNA BAKI HAI JO AGLE 5 SALO ME NITISH KE DWARA HI SAMBHAV HAI. agar nahi lagta to ek bar RJD or unke sipah salahkar ko wapas lakar dekh lijiyel ki KUSHASAN kya hota hai.
      23 October at 23:25 ·
    • Braj Kishor P. Singh बंधुवर
      मैं नान रेसिडेंट बिहारी हूँ,
      मेरी भावनाएं वहां की भलाई से zuri हैं,
      कृपया अनावश्यक प्रयोग ज़रूर रोकें .
      23 October at 23:32 ·
    • Anish Ankur एक बहुत ही अच्छी रेपोर्ट के लिये राजू जी को बधाई.ऐसी रेपोर्ट बिहार की नुख्यधारा की मीडिया में काफ़ी कम देख्ने को मिल्यी है.आगे भी आप और लिख्ते रहें ऐसी उम्मीद कर्ता हूं
      24 October at 01:08 · · 1 personLoading...
    • Rahul Singh जरूरी नहीं कि व्‍यवस्‍था पर निरपेक्ष्‍ा दृष्टि राजनैतिक और दलगत प्रतिबद्धता से ग्रस्‍त हो, उसकी गंभीरता को चुनाव से जोड़कर कम भी नहीं किया जा सकता. अभिव्‍यक्ति के तेवर से एकबारगी नहीं लगता कि यह तटस्‍थ विश्‍लेषण है, बधाई, राजू जी.
      24 October at 05:07 · · 1 personLoading...
    • Ashutosh Mishra बिहार को किसके हाथ में सौंपेगें राजूजी, 5 वर्षों में आप 50 वर्षों की कमी पूरी करना चाहते हैं सायकल कंपनी का फायदा दिखाई दे रहा है जिंहें सायकल मिला उनके बारे में क्या ख्याल है, महिला सशक्तीकरण का अर्थ यह है कि पुरुषों को अपंग बना दो या उनसे छीन कर दे दो, सुशासन शब्द से ही परेशानी है, जो संस्कार जनता को मिला है उसको बदलने में समय लगेगा, शाम को 8 बजे के बाद कोई घर से निकलना नहीं चाहता था वह दिन भूल गए क्या?
      24 October at 05:38 ·
    • Ashutosh Mishra व्यक्ति स्वयं निरपेक्ष न हो और वह निरपेक्षता कि बात करे, मजाक लगता है।
      24 October at 05:40 ·
    • Raju Ranjan Prasad
      ‎@ Raj Kumar Ranjan बीस घंटे बिजली का दावा तो सरकार पटने के बारे में भी नहीं कर सकती .

      @ Ashutosh Mishra लालू के राज में व्याख्यातायों की नियुक्ति हुई थी . तत्कालीन गवर्नर विनोद चन्द्र पाण्डेय को लगा कि धांधली हो रही है तो उन्होंने रोक लगा द...ी और विजिलेंस को दे दिया . जब सुशासन की सरकार आई तो तीन दिनों के अंदर गवर्नर ही बदल दिया गया . इस महामहिम की पहली घोषणा व्याख्यातायों की सशर्त नियुक्ति की थी . सुशासनी सरकार ने सबकी नियुक्ति ही नहीं की , सेवा संपुष्टि भी कर दी . आज वे सब रीडर हैं .विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट दी है कि इतने बड़े पैमाने पर धांधली कभी नहीं देखी गई . नीतीश बाबू ने इस रिपोर्ट की अनदेखी की क्योंकि मोदी सरीखे कई मंत्रियों की बीबी -बेटियां थीं . मजे की बात है कि बहाली करनेवाली संस्था को भंग कर दिया गया . पदाधिकारियों को अनियमित बहाली के आरोप में जेल जाना पड़ा . फिर जिनकी बहाली हुई , वे सब सही मान लिए गए . इतिहास की यह पहली घटना होगी जब इस तरह के काम के लिए गवर्नर को बदला गया हो . क्या इसे आप भ्रष्टाचार कहेंगे ?

      आपको कभी डर लगा होगा, मैं तो बीस सालों से पटना की सड़कों पर बेख़ौफ़ घूमता आ रहा हूँ . कोई भी निरपेक्ष नहीं होता . हाँ और बात है कि मेरी प्रतिबद्धता जनता के प्रति है , न कि सत्ता के प्रति . दलालों की भाषा नहीं आती मुझे .

      यह कोई तात्कालिक रिपोर्ट नहीं है , हिंदुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार और अग्रज मित्र श्रीकांत के समक्ष वर्षों से अपनी बात रखता आ रहा हूँ . महीनों पहले मेरे और नीतीश जी के ब्लॉग पर छप चुका है .

      यह नीतीश सरकार ही है जिसने इंदिरा आवास के पैसों से गरीबी पर पटना में भव्य सेमिनार कराया और देश -विदेश के बुद्धिजीवियों को मालोमाल किया . अलबत्ता ज्यां द्रेज की टिप्पणियों को बिहार के अखबार पचा गए . क्या आप भूल गए बिल गेट्स का कटिहार के लोगों के बारे में कहा गया वाक्य ? उन्होंने तो ठीक -ठीक यही कहा था न कि 'यहाँ के लोग जिन्दा हैं , यह मेरे लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है . ये और बात है कि राजकीय पत्रकारों ने इसे कोने में दबा दिया . ऐसा हो भी क्यों नहीं . सारे अखबार वाले विज्ञापन से मालामाल जो हैं .
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      24 October at 08:21 · · 1 personLoading...
    • Pramod Joshi सामाजिक न्याय और सामाजिक विकास में को टकराव नहीं है। यह बात सामान्य व्यक्ति की समझ में आनी चाहिए। नीतीश या लालू व्यक्ति हैं, व्यवस्था नहीं। दोनों में दोष हों या न हों, जनता को यह समझना चाहिए कि उसे क्या चाहिए। जनता की भागीदारी होगी तो नेता बदलेंगे।
      24 October at 08:22 ·
    • Mohit Gautam sushashan to hai ab bihaar me ......apradhik gatividhiyan bahut kam ho gayi hain......jyadatar apradhi jail me hain.
      24 October at 08:48 ·
    • Mohit Gautam Governor ko state government nahi badal sakti.............ye kaam center government hi kar sakti hai .............yahan to aap ki baaton me gadbad lag rahi hai
      24 October at 08:50 ·
    • Mohit Gautam Indira aawas ke painson ka koi misuse nahi hua .........ye sab congressiyon ki tarah failayi afwayen hain........logo ko digbhramit karne ke liye
      24 October at 08:52 ·
    • Mohit Gautam main Delhi me rahta hun..........par kisi bihaar ke majdoor ya professor se baat karta hun sab dil khol ke Nitish ki prashansa karte hain..................... ye sab se badi cheez hai ki logon ko Nitish me vishwaas hai............ab bihaariyon ko bihaari kahna gaali nahi lagta pahle ki tarah.......
      24 October at 08:56 ·
    • Hitendra Patel मोहित जी की बात में एक सच्चाई है. नितीश कुमार के समय में एक विश्वास का वातावरण तो तैयार हुआ ही है. लेकिन यह छलावा भी हो सकता है.
      24 October at 09:17 ·
    • Mohit Gautam han chhalawa bhi ho sakta hai!!!!!! par ye vishwaas positive hai to matlab bihaar niche nahi ja raha upar uthh raha hai
      24 October at 09:27 ·
    • Raju Ranjan Prasad
      ‎@ Mohit Gautam आपराधिक गतिविधियां बढ़ी हैं , इस तथ्य को तो सरकार तक ने विधान सभा में स्वीकार किया है .

      गवर्नर को सेंट्रल सरकार ने ही बदली थी भाई . नीतीश के सहकर्मी मोदी जैसे लोग भी तो थे .

      दिल्ली या चाँद पर रहने से तथ्य गलत नहीं हो जाते . इन ...पांच सालों में मजदूरों का जो पलायन हुआ है , उसका आंकड़ा कही मिले तो देख जाईये . हो सके तो मैंने जो बातें लिखी हैं , उसको निराधार साबित कीजिए .See more
      24 October at 09:28 ·
    • Ashutosh Mishra
      लेकिन कृपया लालूजी का पक्ष न लें, लालू जी सत्ता में आए थे लगा कि चलो कोई व्यक्ति आया जो जोश और नए तरीके से परिवर्तन करेगा लेकिन बाद में सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। बहुत से कार्य रातो रात नहीं होते, रही बात बेखौफ घुमने कि तो मैं भी बहुत अच्छी त...रह जानता हूं कि कितने भरोसे से लोग घुमते थे। बिल गेट्स ने और भी कुछ कहा था उसे भी कृपया देख लें। इससे मैं सहमत नहीं हूं कि कोई निरपेक्ष नहीं होता यदि अच्छे और खराब कार्यों के हिसाब से आकलन करें तो अच्छा होगा, जिस भ्रष्टाचार कि आपने बात की है जितनी आलोचना की जाए उतना ही कम है लेकिन बात तो तब बने जब भ्रष्ट जेल में जाएं, जो कहीं होता नहीं है इसी का अफसोस है, लेकिन एक बात भी अवश्य बता दें कि किसकी सरकार चाहते हैं और क्यों।See more
      24 October at 09:41 · · 1 personLoading...
    • Raju Ranjan Prasad
      ‎@ Ashutosh Mishra आपको अगर मेरी बातों से लगा हो कि मैं लालू जी का पक्ष ले रहा हूँ , तो मेरे अपने विश्लेषण के सिवा कोई सर्टिफिकेट नहीं है . मैं तो सत्ता मात्र का विरोधी हूँ . मैं तो अक्सर अपने आप से और मित्रों से पूछता हूँ कि सोमनाथ चटर्जी ...जैसे गंभीर और शालीन व्यक्ति के इस कथन के बाद कि 'इस तरह तो संसद नहीं चल सकती', संसद चलाने की क्या मज़बूरी है ?

      सरकार मेरी कोई मज़बूरी नहीं है मित्र .
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      24 October at 10:50 ·
    • Ashutosh Mishra चलिए ठीक है मान लिया लेकिन सत्ता यदि कुछ अच्छा कर रही हो तो कृपया उसका भी विश्लेशन करके उल्लेख करें तो लोगों को समझने में आसानी होगी गलत कार्यों कि आलोचना ठीक है लेकिन सही कार्यों की भी तारीफ करनी चाहिए, सोमनाथ बाबू भी अंत में काँग्रेसी ढंग के शालीन हो गए थे इसलिए उनको रहने दें।
      24 October at 10:59 · · 1 personBraj Kishor P. Singh likes this.
    • Ashutosh Mishra मैं भी 10 जनपथ या होनुलूलू में नहीं रहता, मेरे आलावा और लोगों का का भी लालू राज के बिहर का अनुभव है।
      24 October at 11:05 ·
    • Raju Ranjan Prasad मैं सत्य की वकालत करता हूँ .कोई कोंग्रेसी की तरह कह रहा है या मार्क्सवादी होकर , इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता .
      24 October at 11:08 ·
    • Ashutosh Mishra सत्य है लेकिन उन्हीं लोगों का उदाहरण दें जिनके कथनी और करनी में भेद न हो और सत्य तो केवल म़ृत्यु ही है।
      24 October at 11:15 ·
    • Raju Ranjan Prasad क्या जीवन आपको सत्य नहीं लगता ?
      24 October at 11:17 · · 1 personLoading...
    • Ashutosh Mishra जीवन के सत्य की खोज कर रहा हूं, मृत्यु, के बारे में कोई दुविधा नहीं है।
      24 October at 11:19 ·
    • Raju Ranjan Prasad
      बचपन में संस्कृत का एक श्लोक पढ़ा था . आपकी कुछ मदद करे शायद -

      यों ध्रुवानी परितज्य अध्रुवानी निषेवते
      ध्रुवानी तस्य नश्यन्ति , अध्रुवं नष्टमेव ही .

      ...तकनीकी गडबड़ी से हू -ब-हू नहीं लिख सका . क्षमा करेंगे .See more
      24 October at 11:29 ·
    • Mohit Gautam
      aapki baten niradhaar hi hain............ kyunki aaj bihaar apradhik gatividhiyon ka gar nahi mana jata jaise ki pahle tha........bihaar ka development growth rate bhi bahut bada hai..........kai companies ne bhi vahan jaane ki ichcha jatai... hai unke sushan ko dekhte hue............... ab ye companies aayengi ya nahi ye tay karega nitish dubara aate hain ya nahi...........kuchh bhi ho aap chahe kuchh bhi bolen.........Bihaar me vikaas ki bayaar to bah rahi hai..............pahle jaisi buri haalat kam se kam aaj ke bihaar ki to nahi hai...........is baat ko bihaar bhi janta hai aur desh bhi.See more
      24 October at 12:18 · · 1 personLoading...
    • Raju Ranjan Prasad ‎@ Mohit Gautam आंकडे की बात से आप खुश हो लें . आंकडे तो बताते हैं कि भारत में जरूरत से ज्यादा अनाज है , फिर भी भूख से लोग मर रहे हैं . अमिताभ और शाहरुख की आय बढ़ने से क्या आंकड़ों में ही सही , आपकी आय नहीं बढ़ जायेगी ? बल्कि पूरे देश की प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी . आंकडे कई बार मनोरंजन के साधन हैं . अर्थशास्त्रियों की रोजी -रोटी उससे चल सकती है , आम जनता की नहीं .
      24 October at 12:43 · · 2 peopleLoading...
    • Brahmrshi Motors
      वर्तमान गठ्वंधन बिहार के विकास के लिए कटिबद्ध है. कई बार नितीश की कार्यशैली पर शक होती है परन्तु राष्ट्रीय भावना से प्रेरित भाजपा उन्हें भटकने नहीं देगी. ऐसे समय में हम बिहारिओं का कर्तव्य है की अपने प्रदेश की उन्नति के लिए अपना तन, मन , धन... लगाकर वर्तमान गठ्वंधन को मजबूत करें.
      http://t.co/rUSV3HN
      See more
      24 October at 12:43 ·
    • Raj Kumar Ranjan Raju Ranjan Prasad jee main 2 din pahale apne ghar se wapas aiya hu or waha par bijali ki kya position hai main apse behtar bata sakta hua rahi bat patna me bijali ki to Garantee koi nahi de sakta prantu esthiti me sudhar kiya ja sakta hai jise Nitish ne kiya.
      24 October at 13:10 ·
    • Ashutosh Mishra आपको अगर मेरी बातों से लगा हो कि मैं लालू जी का पक्ष ले रहा हूँ , तो मेरे अपने विश्लेषण के सिवा कोई सर्टिफिकेट नहीं है . मैं तो सत्ता मात्र का विरोधी हूँ . राजू जी के इस कथन के बाद.....आपको समझ जाना चाहिेए कि उनका मन भी नितीश जी को चुनने का है वह केवल रस्म अदायगी कर रहें हैं। बिल गेट्स ने यह भी कहा था कि अब लग रहा है कि विकास हो रहा है पहले तो बिहार में कोई कटिहार के इस गाँव में आने की भी नहीं सोच सकता था।
      24 October at 15:23 ·
    • Raju Ranjan Prasad ‎@ Ashutosh Mishra ऐसा तो कतई नहीं है . आदमी बदलने में नहीं , व्यवस्था बदलने में मेरी रूचि है .
      24 October at 15:44 · · 1 personLoading...
    • Ashutosh Mishra वर्तमान में कोई विकल्प भी नहीं है, नितीश जी पर दबाव बनाकर सूधारा भी जा सकता है लेकिन लालूजी पर किसका दबाव काम आएगा।
      24 October at 15:56 ·
    • Mohit Gautam
      ‎@ Raju Ranjan prasaad ji aap apni likhi baat ko hi kyun like karte hain........>?????

      aap ke pass jo aankde hain unka koi bhi aadhar nahi hai, bina adhar ke aankde hain aapke pass.........Manmohan singh ke pass bhi itne aankde nahi hain jit...ne aapke pass hain..........congress aur lalu ki help kar do aankade dikha kar....... hume to sarkaari aur gair sarkaari aankadon se bihaar vikaas karta dikh raha hai...........See more
      24 October at 20:57 ·
    • Ashwet Singh ‎@mohit gautam अपनी बात पसंद नहीं आ सकती क्या ?
      रही बात आंकड़ों पर जाने की तो सेंसेक्स तो नित नयी ऊँचाईयाँ छू रहा है .क्या आपकी आय भी उसी अनुपात में बढ़ रही है ?
      24 October at 22:06 ·
    • Ggm Nazim is deash mean barea logon kee soch aaytit hea .jab barea logh amerikaa sea is soch ko aaytit karkea layeagea tabhee maanyataa mileagee na.
      24 October at 22:53 · · 1 personLoading...
    • Mohit Gautam ‎@ Ashwet.........han income to badi hai sabki aur lagbhag usi anupaat se Pvt compnies bhi salary badati hain.......vo alag baat hai kharcha bhi bada hai.............par sarkaari aur gair sarkaari aankdon ke saath-2 bihaar ke gareeb logon se leke amir log sab Nitish sarkaar ki tarif karte hain..........matlab kuchh na kuchh to change hua fayda hua hai bihaar ko bihaar ke logon ko.
      24 October at 23:01 · · 1 personLoading...
    • Shiksha Saxena bilkul parivartan hua hai, sadken achhi hui hain, nai nai motor gadian aayi hain. batate hain bihar ke kisi kisi shahar me to BMW jaisi bhi gadian hain.... lalu ne "samajik nyay" ke nare me sab swaha kar diya tha, lekin apradh badhe hain bihar men, desh ke sabhi shaharon me bihari rikshaw walon, khomche valon, chaukidaron, gharelu naukaron .... ki sankhya bhi teji se badhi hai. vikas ka labh sirf "shining" bihar ko mila hai 'maleen" bihar ko nahi.
      25 October at 06:52 · · 1 personRaju Ranjan Prasad likes this.
    • Ashutosh Mishra
      ऐसा नहीं है कि केवल लाभ हीं अमीरों को मिला है, नितीशजी के पहले बहुत से खोमचे वाले, रिक्शेवाले और इसी तरह के कई लोगों से दिल्ली में अक्सर बात होती थी उनलोगें ने बताया था हाल, कई लोगों के छोटे-मोटे रोज़गार थे जिन्हें लूट लिया गया था, किसी का ...कपड़े का व्यवसाय था कोई खोमचे लगाता था, सब त्राही- त्राही कर रहे थे, पूछने पर कहते थे "जान रहतई तबे ना कुछ करबई जै पैसा कमैवे छी ओकरा से ज्यादा तो लूटाइये जाइछी", चाहते थे कि किसी भी तरह इस अराजकता से छुटकारा मिले, आज कई लोग अभी भी दिल्ली में हैं और कमा रहे हैं लेकिन उन्हें अब घर जाने में परेशानी नहीं होती, अब उन्हें इस बात का डर नहीं लगता कि जाएगं तो लूट न लिए जाएं, कई लोगें अपना पूराना व्यवसाय शुरू करने कि सोच रहें हैं या करना शुरू कर दिया है, पंजाब में मज़दूर नहीं मिल रहे हैं, जिनको भी जानकारी चाहिए वे दिल्ली में इनलोगें से मिलकर
      सही स्थिति का पता लगा सकते हैं, मैं रोज़ ही ऐसे लोगों से मिलता हूँ।
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      25 October at 07:21 ·
    • Shiksha Saxena aap log nagnath sapnath ke chakkaron se age badh kar naya vikalp taiyar kijiye
      25 October at 11:12 · · 2 peopleLoading...
    • Ashutosh Mishra आप ही बता दीजिए, किसी नेवले के बारे में।
      25 October at 13:52 ·
    • Raju Ranjan Prasad बेहतर होगा कि आप स्वयं से पूछना सीख लें .
      25 October at 15:55 · · 2 peopleLoading...
    • Shiksha Saxena
      ‎@ashutosh: bandhu! sabhi ko apni ladai khud ladni padti hai, aone liye khud socjns padta hai. vaise, is mulk me sochne ka kam dusaron (samjhdra) ke upar chhod dene ka riwaj hai. Congress ke vidhaykon aur sansadon ke liye sochne ka kam pahl...e Indira Gandhi karti thi, fir sanjay Gandhi bhi sahyog karne lage, sanjay ji jab nahi rahe ma ke kamo me Rajiv ji hath batane lage. aaj kal soniya ji karti hain. BJP ke liye sochne ka kam RSS karta hai. Ek Pakistani poet/writer the, Zahir hai Jia -ul -Haq ko pasand nahi the aur aksar jail vagairah jaya karte the. Unki kuchh lines hain:
      "..............................
      sach achchha par sach ke julu me hai jahar ka ek pyala bhi;
      nahak hi sukrat bano jahar pio, kamosh raho kkhamosh raho.
      haq achchha, par haq ke liye koi aur lade to aur achchha;
      pagal ho mansur bano, shuli par chdho, khamosh raho khamosh raho;
      ................................................................. ."
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      25 October at 16:27 · · 1 personLoading...
    • Ashutosh Mishra मैं अच्छी तरह जानता हूँ लेकिन उनको बताया जाता है जो जानते नहीं हैं जो जानबूझकर जिद्द पर अड़े रहते हैं उन्हें बताने से भी कोई फायदा नहीं है।
      25 October at 16:42 ·
    • Shiksha Saxena Jo ade rahenge ve pade rahenge, unko pichhe chhod aage badhiye
      25 October at 16:44 ·
    • Ashutosh Mishra वही कर रहा हूँ।
      25 October at 16:46 · · 1 personShiksha Saxena likes this.
    • Shiksha Saxena vikalp pane aap milega ek janvadi vikalp, janvadi vikalp talshane ka rasta ab Bihar/orisaa/Jharkhand/ Chhattisgarh/... ke kisan dikha rahe hain apne janvadi sanghrshon ke madhyam se. Zinda kaumen kabhi vikalpheen nahin hotin, vikalpheenta murda kaumon ki nishani hai.
      9 hours ago ·
    • Musafir Baitha एक वितर्क : सुशासन यदि हवा-मिठाई है तो जंगल राज क्या है? जंगल राज को हवाई बताएंगे तो वह सुशासन का अर्थ ध्वनित कर जायेगा.
      7 hours ago ·
    • Raju Ranjan Prasad भाई मैंने 'जंगल राज ' को हवाई नहीं कहा .अलबत्ता 'सुशासन' का जो अतिरिक्त प्रचार हुआ है -उसके विरुद्ध मैंने अपना तथ्यों पर आधारित एक विश्लेषण रखा है .
      7 hours ago · · 1 personLoading...
    • Musafir Baitha ‎@Raj Kumar Ranjan & all : भई, मैं तो अपने गांव जाता ही रहता हूँ. १९८० में बिजली लगी पर बत्ती जली नही. किसी ने ट्रांसफोर्मर के तेल का बतौर दर्दनाशक इस्तेमाल किया तो किसी ने तार से अपने घर कि अलगनी बाँधी.एक ने अपना खोजी दिमाग लगाया और ट्रांसफोर्मर का लाइन काटने-देने का हैंडल खोल लिया, नलकटुआ (पिस्तौल) बनाने हेतु.
      6 hours ago · · 1 personLoading...
    • Musafir Baitha
      रही बात सुशासन-प्रशासन की, तो बिजली की स्थिति इस वक्त भी मेरे गांव में सिफर ही है. वैसे गांवों में केंद्र सरकार की योजना 'राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना' लागू की जा रही है. जिसका श्रेय या मलामत राज्य सरकार को कहाँ जाता है? मेरे यहाँ बिजली का... सारा काम हो गया है, बस, एक साल से बिजली अब आई, अब आई की मृगमरीचिका साबित हो रही है.वैधानिक बिजली अबतक नदारद! वैसे जुगाड़ यह बिठाया है बिजली विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से ग्रामीणों ने कि नेपाल को सप्लाई होने वाली बिजली से कांटा भिड़ा कतिपय गांव को आठ-दस घंटे रोशन कर रखा है. पर यहाँ सवाल नैतिकता से पर यह भी कि आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी?See more
      6 hours ago · · 1 personLoading...
    • Raju Ranjan Prasad
      आप बिल्कुल सही कह रहे हैं . वैसे यह 'बिजली ' शब्द ही भ्रम पैदा करनेवाली हो गयी है . कुछ गावों में बिजली गई भी है तो सिर्फ बल्ब जलानेवाली . सिंचाई की सुविधा आप उससे नहीं ले सकते . इसके लिए बिजली के तीन तार चाहियें . तीन तार वाली बिजली की सप्...लाई कहीं नहीं है . किसी तरह बल्ब जल जाने को ही लोग बिजली की उपलब्धता समझ ले रहे हैं .

      लेकिन जो मूल बात है वह यह कि सन २००३ का जो बिजली अधिनियम है ,उसमें गावों को बिजली देने का कोई प्रावधान ही नहीं है . गावों को बिजली के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा . सरकार बिजली सिर्फ औद्योगिक घरानों / प्रतिष्ठानों को देगी . इस तथ्य की तरफ कोई जनता का ध्यान नहीं दिला रहा .
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      5 hours ago ·