Monday, January 10, 2011

भाषा

भाषा की अपनी गति और मति है. भाषा में सब कुछ तर्क-सिद्ध नहीं होता.एक ही भाषा और एक ही शब्द के कई स्तर होते हैं.अंग्रेजी शब्द 'सिग्नल' को पटना-गया रेल खंड पर ९९ प्रतिशत लोग 'सिंगल' बोलते हैं. 'फालतू' शब्द उन्हें पर्याप्त नहीं लगता ,अतएव 'बेफालतू'का प्रयोग करते हैं. 'फलना-फूलना' को निराला अवैज्ञानिक मानकर जीवन -पर्यंत 'फूलना-फलना' लिखते रहे लेकिन किसी ने नहीं अपनाया. यह सिर्फ हिंदी के साथ ही नहीं है, अंग्रेजी भाषा में इससे ज्यादा स्तर-भेद है.

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