Sunday, January 30, 2011

गंभीर मनोरंजन

गंभीर लोग हल्की -फुल्की चीज भी पढ़ें-लिखें तो उसे गंभीर मान लेने का खतरा बढ़ जाता है. उसे अगंभीर कहने का साहस लोग आसानी से नहीं बटोर पाते. इधर लगातार मेरे दिमाग में आता रहा कि नागार्जुन की 'मन्त्र ' कविता को 'कविता में मनोरंजन ' कहूँ तो कैसा रहे. लेकिन हिम्मत नहीं हो रही.

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