Tuesday, January 11, 2011

हिंदी

हिंदी में लिखी समाज विज्ञान की गंभीर किताबें भी उद्धृत नहीं हो पातीं (अपवाद हैं और हो सकते हैं ). जिस दिन ऐसा होने लगे , आप कह ले सकते हैं कि हिंदी बेहतर स्थिति में है. फ़िलहाल हिंदी में किये गये 'गंभीर' काम को भी 'गंभीरता' से नहीं लिया जाता .हाँ, अनूदित पुस्तकों के साथ ठीक यही सलूक नहीं होता.

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