Monday, November 22, 2010

आप सही कह रहे हैं .लेखन सायास ही होता है लेकिन उसमे बहुत कुछ अनायास भी शामिल होता चलता है . निराला अपने समय की उपज थे इसलिए समय की अच्छाइयां और गडबडियां भी साथ थीं . और ये उस युग की विशेषता है अकेले निराला की नहीं . इतिहास में समय की मांग शामिल रहती है ,इसलिए बदले हुए समय में बहुत सी बातें अनावश्यक हो जाती हैं . निराला इसके अपवाद नहीं हो सकते . आज हम सभी एक बदले हुए समय मैं हैं इसलिए हमारी जरूरतें भी भिन्न हैं . हमें इतिहास की पुनर्रचना करनी होगी ,ऐसा हो भी रहा है .यह भी सही है कि इतिहास में कभी एक धारा नहीं रही है . मोटे तौर पर दो ताकतें हैं -प्रगतिशील और प्रगति विरोधी . इस पहली ताकत के लोगों को संगठित होकर काम करना होगा. लेकिन यहाँ भी कुछ सैद्धांतिक मतभेद हैं जो रहेंगे क्योंकि उनके भिन्न वर्गीय हित हैं . यह स्वाभाविक है .

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