Singh Umrao Jatav
@pratyush ji, बात इंसान के अपराधी होने की नहीं है। बात है अंधी धर्मभीरुता की। आपने शायद एक बात को नज़र अंदाज़ कर दिया की वे डाक्टर महोदय उस सिपाही पुजारी के पाँव छूते थे जो सेना में सबसे निचले दर्जे का कर्मचारी था। सेनाओं में अनुशासन बनाए र...खने के लिए ये सबसे बड़ा गुनाह है। यह कैसी धर्मभीरुता है की प्राणप्रिय पत्नी की हत्या को भूल कर व्यक्ति फिरसे उन्हीं चरणों में झुक जाए। क्या बिना चरणों में झुके भक्ति नहीं हो सकती। दिल्ली में जिस कालोनी में मैं रहता हूँ मेरे नीचेवाले ग्राउंड फ्लोर फ्लैट के सज्जन बहुत सज्जन हैं । दो बेटियाँ हैं, दोनों ही एमबीबीएस,एमडी हैं। डाक्टर एक वैज्ञानिक होता है जो शरीर और जीवन की सच्चाई को वैज्ञानिक दृष्टि से जानता है। हर शनिवार को एक गंदा सा आदमी -" शनि महाराज..." की टेर लगता कालोनी में घूमता है। लो, आवाज़ सुनते ही वैज्ञानिक डाक्टर बेटी दौड़ती हुई दरवाजे पर आती है उसके तेलवाले बर्तन में पैसे डालने। कई बार यदि या तो पुकार सुन न पाई हो अथवा बाथ रूम वगैरा: में हो तो उसे तलाश करती हुई कालोनी में भागी फिरती है। और कोई उस परिवार से उस शनि महाराज वाले आदमी को घास नहीं डालता है। इसे क्या कहेंगे आप?
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